Wednesday 20 October 2021

कोरोना के दौर का मानसिक सेहत पर असर

कोरोना महामारी ने लोगों के जीवन पर आर्थिक, शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक रूप से बहुत ज्यादा प्रभावित किया है. भारत में अभी भी लगभग 178098* सक्रीय केस मौजूद हैं और साथ ही 452651* की महामारी से मौत हो गई  इस दौरान किसी ने अपने को खोया तो साथ ही कुछ ऐसे भी हैं जिनका पूरा परिवार कोरोना संक्रमण की वजह से तितर-बितर हो गया. देश ने तेजी से कोरोना महामारी पर नियंत्रण जरुर किया है परन्तु इस  कोरोना काल में लोग डिप्रेशन, अवसाद और बेचैनी जैसी समस्या से काफी ग्रसित हुए हैं. कोरोना से किसी को अपने खोने का सदमा, अपनी बीमारी का सही से इलाज़ न करवा पाने का, दोस्तों और सगे-सम्बन्धियों से न मिल पाने का, अपनी दिनचर्या में बदलाव, नौकरी छूट जाना, किसी पारिवारिक समारोह में न शामिल हो पाना जैसी समस्या ने लोगों की मानसिक सेहत पर गहरा असर डाला है वो चाहें किसी भी उम्र की महिला हो या पुरुष कोई भी अछूता नहीं रहा.  

कह सकते हैं की चलती हुई ज़िन्दगी में कोरोना और लॉकडाउन से अचानक से ब्रेक लग गया हो और ज़िन्दगी एक जगह कैद होकर रह गई हो. अकेलेपन, अवसाद और चिंता से लोग दिन-रात जूझ रहे हैं. सोशल मीडिया, टेलीविजन और अख़बार की ख़बरों ने एक डर का माहौल लोगों के अंदर बना दिया है आज भी जब कोरोना को लेकर कोई खबर आती है तो एक डर का माहौल पुरे घर में छा जाता है. किसी को खांसी जुखाम की मौसमी शिकायत हो तो उसे लोग कोरोना मरीज समझ कर उससे दूरी बनाना शुरू कर देते हैं, उससे हीन भावना और उसके साथ गलत आचरण शुरू कर देते जिससे दोनों की मानसिक सेहत पर गहरा असर पड़ता है. कुछ लोग घरों में कैद, दोस्तों से दूर अकेले ही महामारी के हालात से निपट रहे हैं. लोगों को कोरोना महामारी ने मानसिक रूप से पूरी तोड़ दिया. कोरोना से परिवार में किसी की मौत ने मानसिक और भावनात्मक रूप से कमजोर किया है. इस दौरान अवसाद, डिप्रेशन और चिंता बढ़ने से शरीर में  (सिरदर्द, रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना, ब्लड प्रेशर और शुगर), मानसिक (परिवार कैसे चलेगा,बुरे ख्याल आना, लॉकडाउन के कारण नौकरी मिलेगी या नहीं मिलेगी, कहीं कोरोना पॉजिटिव तो नहीं हो गया, किसी एक काम में ध्यान न लगा पाना), भावनात्मक (चिंता, गुस्सा डर, उलझन ) जैसी समस्या उत्पन्न होने लगी है. कोरोना महामारी से सम्बन्धित एक ही समाचार चाहें सोशल मीडिया, अख़बार और समाचार चैनल पर आ रही हो को  बार-बार देखने से दिमाग वहीँ पर चलने लगता है इस तरह की ख़बरों की ओवरडोज़ ने मानसिक स्थित को बिगाड़ दिया है पूरे दिन परिवार के साथ अच्छा पल बिताने की जगह कोरोना पर चर्चा शुरू हो जाती है. मानसिक सेहत पर सबसे बड़ी जो समस्या पड़ी है वो काम को लेकर पड़ी है जो  सबसे बड़ी समस्या है अभी भी लोगों के अंदर चिंता बनी हुई है की काम मिलेगा या नहीं अगर मिलेगा तो जो सैलरी मिलेगी उस से गुज़ारा हो पायेगा या नहीं.

·         *आकड़े स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट से लिए गए हैं.

Wednesday 17 February 2021

शिमला की यादगार यात्रा - अनोखा शहर (जाखू मंदिर)

वीरेंद्र कुमार- समुद्र तल से 8048 फिट शिमला का जाखू मंदिर जाखू चोटी पर स्थित है यह मंदिर भगवान श्री राम भक्त हुनुमान जी को समर्पित है। शिमला में प्रवेश करते ही आपको जाखू हिल पर लगी हनुमान जी की 108 फिट ऊंची प्रतिमा के दर्शन होने शुरू हो जाएंगे। जाखू मंदिर पहुँचने के लिए रिज मैदान के स्पॉट मॉल मार्ग से लगभग 2 किलोमीटर पैदल मार्ग, पुराना बस अड्डा शिमला से टैक्सी से 7 किलोमीटर और रिज मैदान के पास बने टिम्बर ट्रेल के द्वारा मंदिर तक आराम से पहुंचा जा सकता है। ट्रेकिंग के शौकीन लोगों के लिए रिज मैदान से गया पैदल रास्ता ज्यादा लुभावन रहेगा। पैदल चलने के लिए सरकार द्वारा बनवाई गई सीढ़ी और आराम करने के लिए बेंच की व्यवस्था की गई है, थकावट महसूस होते जी 

आराम कर सफर फिर से शुरू किया जा सके। रास्ते मे आपको हर भरे पहाड़, लंबे-लंबे देवदार और सागौन के पेड़ों की हरियाली आपका मनमोह कर सफर को यादगार बना देगा, फ़ोटोग्राफी के शौकीन लोगों के लिए रास्ते मे तरह-तरह की जगह मिलती है जो फोटोग्राफी को खूबसूरत बना देती हैं , टिम्बर ट्रेल से सफर करने वालों को पहाड़ों की गहराई और देवदार- सागौन के पेड़ों के बीच से गुजरती टिम्बर ट्रेल देख कर एक जन्नत का एहसास मिलेगा साथ ही समय की बचत भी होगी। जाखू मन्दिर एक ऐतिहासिक जगह है यह जगह रामायण काल की बताई जाती है लोगों का कहना है कि जब राम रावण का भयंकर युद्ध चल रहा था  और लक्ष्मण जी मेघनाथ के वार से जब मूर्क्षित हो गए थे तब हनुमान जी ने वैधराज सुषेण के कहने पर संजीवनी बूटी लेने के लिए अपने कुछ सैनिकों के साथ जा रहे थे और रात्रि विश्राम के लिए हनुमान जी ने इसी पहाड़ी को चुना परन्तु हनुमान जी ने अपने साथियों को जाखू पहाड़ी पर विश्राम करता छोड़ अकेले ही संजीवनी बूटी लेने के लिए सफर पर निकल गए और उनके साथियों ने ने सोचा कि हनुमान जी उनसे नाराज़ होकर अकेले निकल गए और  इसी पहाड़ी पर हनुमान जी के लौटने का इन्तज़ार करने लगे। आज भी हनुमान जी के पद चिन्ह इस पहाड़ी पर पाए जाते हैं जिसे संगमर लगा कर संरक्षित कर दिया गया है। इसलिए यंहा पर आज भी वानर सेना पाई जाती है, बंदरों के झुंड आज भी यंहा निवास करता है। मान्यता है कि यंहा पर मांगी गई सभी की मुराद पूरी होती है। यंहा पर पार्क में घूमने और कैंटीन में खाने पीने का आनंद ले सकते हैं। प्रत्येक त्यौहार,  रविवार और कभी-कभी मंगलवार को यंहा पर बड़े स्तर पर भंडारे का आयोजन भी किया जाता है जिसमे कोई भी भक्त जाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकता है। 

Tuesday 24 November 2020

शिमला की यादगार यात्रा - अनोखा शहर (माँ तारा देवी मंदिर )

शिमला की यादगार यात्रा - अनोखा शहर (माँ तारा देवी मंदिर ) 




आज बात करते हैं समुद्र तल से 7200 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं माँ तारा देवी के ऐतिहासिक मंदिर की जो शिमला शहर से लगभग 11 किलोमीटर हैं। 250 साल पुराने मंदिर की स्थापना 1766 ई0 में सेन वंश के शक्तिशाली राजा भूपेंद्र सेन के द्वारा जुग्गर गाँव की एक ऊँची पहाड़ी की गई थी. मंदिर से पहले यंहा पर एक घना जंगल हुआ करता था, लोगों की मान्यता है कि जुग्गर के जंगल के माँ तारा देवी वास करती हैं. तारा देवी मंदिर जाने के लिए आप टैक्सी, बस और अपने निजी वाहन का सहारा ले सकते हैं। बस आपको पुराना बस अड्डा शिमला से मिल जाएगी और टैक्सी किसी भी स्टैंड से कर सकते हैं, जो आपको शोघी होते हुए तारा देवी मंदिर ले जाएगी। ट्रैकिंग के शौकीन लोगों तारा देवी मंदिर जाने के लिए कच्ची घाटी से लगभग 6 किलोमीटर का पैदल पथ भी है जिसका लुफ्त उठा सकते हैं पैदल मार्ग से आपको गहरी और सुंदर वादियां, हरियाली, लम्बे-लम्बे चीड़, क्वेर्कस इन्काना बांज, सागौन, देवदार के पेड़, सकरा रास्ता जो आपकी यात्रा को एडवेंचर बना देगा। रास्ते मे आराम करने के लिए जगह जगह बेंच लगी हैं, जिस पर बैठकर आराम कर अपनी यात्रा शुरू कर सकते हैं. बीच रास्ते मे आपको बड़े-बड़े लंबे घने पेड़ आपका मन मोह लेंगे। हरे भरे पेड़ों से लदे पहाड़ यात्रा का सुखद अनुभव देंगे। रास्ते मे ऐसी कई जगह हैं जंहा पर बैठकर आप पिकनिक का आनंद भी ले सकते हैं। माँ तारा देवी की यात्रा के दौरान नीचे की तरफ घाटी में एक सदियों पुराना शिव मंदिर पड़ता है वंहा भी आप शिव दर्शन कर आगे बढ़ सकते हैं वापस आते वक्त भी आपको शिव दर्शन प्राप्त हो जाएंगे आप अपनी सुविधानुसार चयन कर सकते हैं परन्तु दर्शन जरूर करें। रास्ते के लिए खाने-पीने की चीज साथ रख कर जाएं तो यात्रा ज्यादा सुखद होगी। पिकनिक का प्लान भी आप बना सकते हैं, रास्ते मे एक खेल का मैदान भी पड़ेगा ज्यादा बड़ा तो नही होगा पर आप अपने समय और सुविधा के अनुसार कोई भी खेल खेल सकते हैं। ट्रैकिंग के वक़्त आपको पानी और खाने की आवश्यकता पड़ेगी। 5 से 6 किलोमीटर की ट्रैकिंग में लगभग 2 से 3 घंटे लग सकते हैं. परंतु वापस आने में समय की काफी बचत होगी। स्वस्थ व्यक्ति ही ट्रैकिंग करे ऐसा मेरा सुझाव है क्योंकि अस्वस्थ व्यक्ति को चढाई करते वक़्त सांस की समस्या उत्पन्न हो सकती है. अस्वस्थ व्यक्ति अगर माँ तारा देवी के दर्शन करना चाहता है तो वह बस, टैक्सी या अपने निजी वाहन का इस्तेमाल करे ज्यादा समस्या नहीं आएगी जंहा पर आपको बस उतारेगी वंहा से सीढ़ी और स्लोप के द्वारा मंदिर परिसर में पहुंच सकते हैं खाने पीने की चीजों के लिए एक बैग जरूर रखे क्योंकि बंदर आपके खाने-पीने की चीजों पर झपट सकते हैं और साथ आपको नुकसान भी पहुचा सकते हैं। अब बात करते हैं की मंदिर के इतिहास की, मंदिर का निर्माण सेन वश राजा भूपेंद्र सेन ने करवाया था। यह मदिर हिंदू धर्म के साथ बौद्ध धर्म के लिए भी काफी महत्त्व रखता है। माँ तारा देवी की बनी लकड़ी की प्रतिमा आपको आकर्षित करेगी। मंदिर परिसर को बनाने में अधिकतर लकड़ी का प्रयोग किया गया है जो परिसर की सुंदरता का मनोरम दृश्य आपकी यात्रा यादगार बना देगा। स्थानीय निवासियों के अनुसार माँ तारा देवी क्योंथल रियासत की कुलदेवी मानी जाती है. एक बार राजा भूपेंद्र सेन जुग्गर के जंगल में शिकार करने के लिए के लिए गए वंही पर झाड़ियों में से शेर के गर्जने की आवाज सुनाई दी फिर थोड़ी देर बाद वंही से एक स्त्री की आवाज सुनाई दी और राजन से बोली की हे राजन मैं तुम्हारी कुलदेवी हूँ जिसे तुम्हारे पूर्वज बंगाल में ही भूल से छोड़ आये थे, तुम मेरी मूूर्ति की यंही पर स्थापना करा दो और मैं तुम्हारे कुल की रक्षा करुँगी राजा ने तुरंत ही आदेश का पालन किया और गांव जुग्गर की ऊंची पहाड़ी पर माँ तारा देवी की मूर्ति की स्थापना विधि विधान के साथ करवा दी। माँ तारा देवी के दर्शन के साथ भंडारे का आनंद भी ले सकते हैं, प्रत्येक रविवार और कभी-कभी मंगलवार को भी भण्डारे का आयोजन यंहा पर किसी न किसी व्यक्ति (भक्त ) द्वारा भण्डारे का आयोजन किया जाता है, कोई भी प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकता है और कोई भी भंडरा आयोजन करवा सकता है| तारा देवी मंदिर परिसर में मंदिर न्यास समिति बानी हुई है जो मंदिर का रख रखाव और भण्डारे आयोजित होता है. रविवार के भंडारे का आयोजन करने के लिए यंहा पर पहले ही बुकिंग करवानी पड़ती हैं बुकिंग में आपको एक तारीख मिलती है वो तारीख महीने बाद, साल बाद, पांच साल बाद की भी हो सकती है. भण्डारे की डेट आने से तीन महीने पहले एक रिमांडर भेजा जाता है और बताया जाता है की आपकी बारी इस इन आएगी। भण्डारा आयोजित करने के लिए कोई भी पैसा जमा नहीं होता है सिर्फ भंडारे के एक दिन पहले आपको भंडारे का राशन मंदिर परिसर में पहुंचना होता है. भण्डरा किसके द्वारा आयोजित का नाम भी पंदिर परिसर के गेट के पास लगा दिया जाता है अगर वो चाहे तो नाम गुप्त भी रखवा सकता है. बुकिंग के लिए मंदिर का ऑफिस 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक खुला रहता है और इस समय के बीच कोई भी आकर बुकिंग करवा सकता है. मंगलवार का भंडारा करवाने के लिए डेट की समस्या नही होती जल्दी ही भंडारे की डेट मिल जाती है।

Monday 4 November 2013

आई आई एम् लखनऊ (वर्चस्व कार्यक्रम )  नाटक का मंचन:-



















Saturday 16 March 2013

वीर की हलचल( प्यार हमे किस मोड़ पे ले आया)


प्यार हमे किस मोड़ पे ले आया .............


ज़िन्दगी हमे कब क्या सीखा दे पता ही नहीं चलता हर पल हमे ज़िन्दगी कुछ न कुछ न कुछ सिखाया ही करती है | कुछ अच्छा सिखाती है तो कुछ बुरा अच्छा जब सिखाती है तब हम उसे हमेशा याद रखने की कोशिस करते हैं और अगर ज़िन्दगी ने कुछ बुरा सिखाया तो उसे बुरा वक़्त मानकर भूलने की कोशिस करते हैं परन्तु फिर भी हम इसमें कामयाब नहीं हो पाते | ज़िन्दगी भी कितनी अजीब है हम उसे तब तक नहीं छोड़ सकते जब तक ज़िन्दगी न चाहें और यंही पर किस्मत का कनेक्सन भी बहुत ही अजीब है जो मौत पर भी पहरा लगा देती है| अक्सर जब अकेला तन्हा बैठता हूँ तो बहुत सोचता हूँ की ज़िन्दगी कन्हा से कन्हा ले आई हमे| ज़िन्दगी में उतार चढ़ाव इतनी जल्दी आये की हम समझ ही न सके की ज़िन्दगी ने कैसे यु टर्न कर लिया | ज़िन्दगी और मौत से बड़े करीब से दीदार किया है हमने कई बार| ज़िन्दगी मेंबार अगर एक बार भी प्यार हो जाए तो कहने ही क्या है हालाँकि हासिल तो कुछ नहीं होता सिवाय दर्द और तन्हाई के खासतौर से तब आप उस शख्स के लिए सब कुछ करते है और वाही शख्स आपको न समझे और अपनी ही खुशियों की तलाश करे | खिलौने की तरह कोई खेलता है तो कोई इस्तेमाल करता है , प्यार हमे इस मोड़ पे आज पहली बार ले आया की हम खुद को भूल गए की हम कौन है क्या है और हमरी औकात क्या है सब प्यार ने हमे बता दिया , और हमने प्यार करने जहमत उठा डाली और चल पड़े बिना कुछ सोचे समझे| ऊपर वाला भी बड़ा गजब खेल खेता है ज़िन्दगी में उसे ही आपके सबसे करीब भेजेगा जो आपकी ज़िन्दगी को बदल देगा पर कभी अपना न हो सकेगा भले ही आप कितनी भी सिददत से चाहों और उसके लिए हर पल हर लम्हा ही क्यों न लुटा दो चाहे ज़िन्दगी में कितने भी कांटे आ जाए पसंद वाही आती है जिसका किस्मत से कोई कनेक्सन नहीं होता है|
कोसता हूँ हर पल हर घडी उस लम्हे को जब उसे देखकर चेहरे पर दिल से मुस्कान आइ, ज़िन्दगी से प्यार हुआ न जाने क्या बात है उसमे आज तक नहीं पता चला, और दिल भी कितना कमीना होता है दगा दे ही जाता है वन्ही जाकर बैठ जाता है जन्हा उसका ठिकाना नहीं | अक्सर  उसी पे टिकता है जो नसीब में नहीं, दिल और दिमाग काबू में न रहे तो ज़िन्दगी में हर वो काम हो जाते है जिससे कभी आप नफरत किया करते थे और भले ही उन्ही कारणों से आप ने ज़िन्दगी का सबसे बड़ा दुःख ही क्यों न देखा हो, फिर भी किस्मत की बेवफाई बंद नहीं होती दगा देती ही रहती है, भले ही कितनी कोशिस कर ले आप ज़िन्दगी में एक समय अँधेरा आ ही जाता है और प्यार के मायने समझा ही जाता है | भले ही खुद का क्यों न प्रोपेगंडा बना लो बस उन्हें एक वजह चाहिए गलत समझने की, इंसान प्यार में कमज़ोर तब पढ जाता है जब वो अपने प्यार की ख़ुशी के लिए सब कुछ करने को तैयार हो जाता है और वक़्त उसकी ही खुशियाँ तलाशा  करता है खुद को ही  भूल कर कोई पागल कहना शुरू देता है तो कोई कहता है फिलोसोफेर हो गए हो क्या है मुझे खुद नहीं पता क्या हूँ बस इतना जनता हु की खुद में सही हूँ , ज़िन्दगी ने ऐसी करवट ली की समझ ही न सके की क्या हुआ और क्या हो रहा है बस एक ही जगह अटके रहे और ज़िन्दगी की हर चीज दांव पर लग गई पर आज पता चला की किसी को कोई फर्क ही नहीं पड़ता है सिवाय खुद, कितना भी कर किसी के लिए कंही न कंही किस्मत धोखा दे ही देती है और हम उसकी ख़ुशी तलाशने में जुटे रहते हैं हर वक़्त जिसको खुद की ख़ुशी से तो प्यार है पर दूसरों की ख़ुशी से नहीं शायद यही ज़िन्दगी है, ज़िन्दगी तो हमे सुरु से अभी तक कुछ न कुछ सीखा ही रही है,  

कोरोना के दौर का मानसिक सेहत पर असर

कोरोना महामारी ने लोगों के जीवन पर आर्थिक, शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक रूप से बहुत ज्यादा प्रभावित किया है. भारत में अभी भी लगभग 178098 * ...